दक्षिण भारत(South India) का सबसे बड़ा त्यौहार ओणम (onam) इस बार सितंबर महीने में मनाया जा रहा है. 1 सितंबर को शुरू हुया ये पर्व 13 सितंबर तक मनाया जाएगा. इस पर्व को ख़ास कर केरल(Kerala) में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. जैसे महाराष्ट्र(Maharashtra) में गणेश चतुर्थी को 10 दिन मनाया जाता है वैसे ही onam के त्यौहार(Function) को भी 10 मनाया जाता है लेकिन इस बार पूरे 13 दिनों तक मनाया जाएगा. इस दिन लोग अपने घरों में दीपक जला कर पूजा-अर्चना करेंगे. चलिये जानते है onam कैसे मनाया जाता है और इसके पीछे की पूरी कहानी को?

मलयालम कलेंडर(Calendar) के अनुसार onam चिंगम महीने में आता है. जो अंग्रेजी कलेंडर में आम तौर पर अगस्त(August) या सितंबर महीने में पड़ता है. इस बार ये त्यौहार सितंबर(September) महीने में मनाया जा रहा है. इस पर्व में चार दिन सबसे ख़ास होते है. वो चार दिन के नाम कुछ इस प्रकार है ‘उत्तरादम’,’थिरु ओणम या थिरुवोनम’,’अवितम’ और ‘चत्तयम’.

उत्तरादम सबसे पहले आता है उस दिन मान्यता के अनुसार राजा महाबली केरल आते है. उसके बाद थिरुवोनम आता है और मान्यता के मुताबिक उस दिन राजा सबके घरों में आते है. फिर अवितम आता है उस दिन राजा के जाने की यानि विदाई की तैयारी की जाती है और लास्ट में चत्तयम के दिन राजा को विदाई दे दी जाती है. इस बार उत्तरादम 10 सितंबर को और थिरुवोनम 11 सितंबर को मनाया जा रहा है. अब ये राजा महाबली कौन है उनके बारे में थोड़ा जान लेते है.

Onam को मनाने के पीछे धार्मिक मान्यता ये है कि इस दिन महाबली नाम के असुर राजा केरल में पधारते है. उनके ही आदर सत्कार में ये पर्व मनाया जाता है. अगर धार्मिक मान्यता को पीछे रख कर देखा जाएँ तो ये त्यौहार भगवान से अच्छी फसल लहलहाने और उसकी सुरक्षा करने के लिए मनाया जाता है. Onam सद्भावना वाला उत्सव है. इसको हर धर्म-जाति के लोग आपस में मिल-जुल कर मनाते है. राजा महाबली के सत्कार के लिए केरल के वासी अपने घरों में फूलों से कार्पेट सजाते है. इसको लोकल भाषा में पूकलाम बोला जाता है. केरल के कॉलेजो और स्कूलों में पूकलाम बनाने की प्रतियोगिता होती है.

इस पर्व के अवसर पर केरल के हर घर में लंच(Lunch) के टाइम साद्य नाम की डिश(dish) बनती है और इसे केले के पत्ते पर परोसा जाता है. इसके अलावा पचड़ी काल्लम, ओल्लम के साथ सांभर, घी, चावल, दाल, रसम, केले के चिप्स और पापड़ होता है. Onam में केरल में रहने वाले पारंपरिक वेशभूषा पहनते है. जहां पुरुष सफ़ेद रंग की धोती और कुर्ता पहनते है वहां महिलाएं भी सफ़ेद रंग की गोल्डन बॉर्डर वाली साड़ी पहनती है.

Onam के दिन पारंपरिक डांस(dance) भी होता है. महिलाएं मिल कर डांस करती है उसे थिरुवाथिराकली कहते है और जो डांस पुरुष मिल कर करते है उसे पुली कली कहते है. इसके अलावा कथकली और थंबी भी किया जाता है. इसके अलावा नावों की दौड़ भी होती है. यानि की पूरे 10 दिन तक माहौल खुशनुमा रहता है. इस दिन बड़े लोग अपने से छोटों को गिफ्ट भी देते है. Onam की सबसे खास बात ये है कि लोग मंदिरों में ना जाकर अपने घर में ही पूजा-अर्चना करते है.
ये थी पूरी कहानी onam की. जिसके अंदर आपने पढ़ा की onam क्यों, कैसे और किसलिए मनाते है.
