अक्सर इंसान लेटलतीफ़ी का शिकार होते रहते है. लेट होने के कारण कई सारे काम बिगड़ जाते है. जिसे सुधारने में वक़्त लगता है और कभी कभी काम बनते नहीं है. ऐसे वाकये सिनेमा जगत में भी देखने को मिलते रहते है. कुछ अभिनेता या अभिनेत्री के सेट पर लेट आने से डायरेक्टर्स को परेशानी का सामना करना पड़ता है. उन्हीं में से एक अभिनेता की आज हम पूरी कहानी जानेंगे. बने रहिए पोस्ट के साथ.

साल था 1963 और तारीख थी 21 दिसंबर. इस दिन अरुण कुमार आहूजा और निर्मला देवी के घर में जन्म लिया एक छोटे से बच्चे ने. बच्चे की खबर सुन कर अरुण कुमार के घर में खुशियों का माहौल बन गया. बच्चे का नाम रखा गया गोविंद. कितना प्यारा नाम है, ना. श्री कृष्ण के नामों मे से एक. ये गोविंद वो ही है जो बॉलीवुड में गोविंदा के नाम से फेमस है. हाँ जी, नंबर वन अभिनेता गोविंदा, जो अपने डांस से सबके छक्के छुड़ा देते है.

गोविंदा अपने छ:भाई-बहिनो में सबसे छोटे है, इसलिए घरवाले उन्हे प्यार से “ची-ची” बुलाते थे. ची-ची एक पंजाबी शब्द है जिसका अर्थ छोटी अंगुली होता है. गोविंदा के पिता अरुण कुमार भी एक अभिनेता थे और उनकी माँ निर्मला देवी भी अभिनेत्री और गायिका थी. गोविंदा का जन्म होने से पहले उनके पापा ने एक फ़िल्म प्रोड्यूस की थी जो ख़ास चली नहीं थी. जिसका उन्हें नुकसान उठाना पड़ा था. उस नुकसान की वजह उनके पापा अपने परिवार समेत कार्टर रोड से विरार में शिफ्ट हुये थे. विरार में गोविंदा का जन्म हुया था. अरुण की जिद थी की उनका बेटा फिल्मों में काम करे और गोविंदा को भी फिल्मों में काम करने की इच्छा भी थी. दोनों के सपने को साकार किया गोविंदा ने.

गोविंदा की शादी सुनीता से 11 मार्च 1987 में हुई थी. गोविंदा की एक बेटी और एक बेटा है, बेटी का नाम नर्मदा है लेकिन सिनेमा जगत में टीना नाम से जानी जाती है और बेटे का नाम यशवर्धन है. गोविंदा के भांजे-भांजीयां/भतीजे-भतीजियाँ भी मनोरंजन के क्षेत्र में काम करते है उनके नाम विनय आनंद, कृष्णा अभिषेक, आर्यन, अर्जुन सिंह, रागिनी खन्ना, अमित खन्ना, आरती सिंह और जनमेंद्र कुमार आहूजा है.

गोविंदा बॉलीवुड में काम करने के लिए इतने उत्साह से भरे हुये थे कि उन्होने फिल्म डिस्को डांसर के मूव्ज़ को घंटो प्रेक्टिस करके अपनी एक कैसेट बना ली थी जिसे वो सारे प्रोड्यूसर्स और डायरेक्टर्स को दिखाते थे. साल था 1986, गोविंदा के जीवन का ये साल बहुत ही अहम रहा. इस साल गोविंदा को पहली फिल्म ‘इल्ज़ाम’ मिली थी. पहलाज निहलानी ने ये फिल्म गोविंदा की उस कैसेट को देखने के बाद दी थी. इस फिल्म के रिलीज होने के बाद गोविंदा को उनके काम की तारीफ़ें मिली जिसके बाद उन्हे फिल्में ऑफर होने लगी.
गोविंदा बस काम करना चाहते थे इसलिए उन्होने एक साथ 49 फिल्मों को साइन कर लिया और दिन-रात काम करने लगे. इतनी सारी फिल्मों में एक साथ काम करने की वजह से उनमें एक बुरी आदत ने जन्म ले लिया. वो बुरी आदत थी समय पर नहीं पहुंचना. सेट पर देरी से पहुँचने से डायरेक्टर और साथी कलाकार परेशान रहते थे. लेकिन गोविंदा इस आदत का कुछ कर भी नहीं सकते थे. क्योकि एक साथ 49 फिल्मों को साइन करने से उनके वर्किंग शिफ़्ट ही ऐसे थे.

जब वो सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के साथ “बड़े मियां और छोटे मियां” फिल्म की शूटिंग कर रहे थे तब गोविंदा को बताया गया था कि अमिताभ बच्चन समय के पूरे पाबंद है यानि जो समय दिया जाता है उसी समय सेट पर पहुँच जाते है. ये सुन कर गोविंदा घबरा गए. गोविंदा पास में पड़ा फोन उठा कर अमिताभ बच्चन को घंटी करते है. उनसे फोन पर बात करते हुये गोविंदा कहते है कि उन्होने इस समय बहुत सारी फिल्मे साइन कर रखी है कि वो सेट पर देरी से पहुंचेंगे. तब जो अमिताभ बच्चन ने जवाब दिया वो क़ाबिल-ए-तारीफ़ था. अमिताभ ने गोविंदा को कहा कि आप अपना समय बता दीजिये. उस वक़्त हम दोनों शूट कर लिया करेंगे. जिसको जो सोचना है उनको सोचने दे.
गोविंदा ने अपने फिल्मी करियर में अब तक तक़रीबन 165 हिन्दी फिल्में की है. गोविंदा अब तक बारह बार फिल्मफेयर के लिए नामांकित हो चुके हैं. वह एक स्पेशल फिल्मफेयर, बेस्ट कॉमेडियन केटेगरी में एक फिल्मफेयर और चार ज़ी सिने अवार्ड जीत चुके हैं. गोविंदा ने बहुत सी फिल्मो में डबल रोल की भूमिका भी निभाई जिनमे मुख्य रूप से जान से प्यारा (1992), आँखे (1993), बड़े मियाँ छोटे मियाँ (1998) और अनाड़ी नं. 1 (1999) शामिल है. इसके बाद उन्होंने हद कर दी आपने (2000) फिल्म में एक साथ 6 रोल निभाए थे, उनके उन किरदारों के नाम राजू और उनकी माँ, पिता, बहन, बड़ी माँ और बड़े पापा थे.

गोविंदा ने राजनीति में भी कदम रखा था. गोविंदा ने कांग्रेस पार्टी से 2004 में 14वे लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र के उत्तर मुंबई क्षेत्र से चुनाव लड़ा था. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के राम नाइक को 50 हजार वोटो से हराया था. लेकिन अपने फिल्मी शेड्यूल से टाइम निकाल कर संसद में नहीं जा पाने की वजह से उन्होने पार्टी को इस्तीफा दे दिया था.
फिलहाल का आलम ये है कि गोविंदा को कोई फिल्म नहीं मिल रही है. उनके करीबी डायरेक्टर/प्रोड्यूसर भी उनसे कन्नी काट रहे है. इन्हीं के बीच उनके करीबी दोस्तो ने बताया कि वो किसी साइकोलॉजिकल प्रॉबलम से गुजर रहे है तो उन्हे मदद कि सख़्त जरूरत है. उसकी वजह से सभी करीबी उनसे दूरी बना रहे है.
एक समय था जब 49 फिल्में एक साथ साइन किया करते थे और अभी एक भी फिल्म ऑफर नहीं हो रही है. समय से बड़ा बलवान कोई नहीं है, समय के साथ-साथ चले उसी में भलाई है.
