दोनों सदनों में तीन तलाक़ बिल पास होकर राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इस बिल ने कानून का रूप ले लिया है. ये कानून 19 सितम्बर 2018 से लागू किया गया यानि कि 19 सितम्बर 2018 के बाद से जितने भी तीन तलाक़ से जुड़े मामले दर्ज़ किये गए थे वो इस कानून के तहत सुलझाये जायेंगे. इस कानून के बनने के बाद मुस्लिम महिलाऐं सामने आकर तीन तलाक़ का विरोध करते हुए नज़र आयी है.

तीन तलाक़ का कानून बनने के बाद भारत में मुस्लिम महिलाएं अपने शौहर के तलाक़ बोलने/लिखने पर उनके खिलाफ़ मुकदमा दर्ज़ करवाती नज़र आयी है. हाल ही में हुए ऐसे तीन किस्से साझा करता हूँ.
पहला किस्सा है उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले का. NDTV न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, यहां एक शख़्स ने अपनी पत्नी को बीच सड़क पर सिर्फ इसलिये तीन तलाक़ दे दिया क्योंकि वह कथित तौर पर बहस कर रही थी. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. वायरल वीडियो में शख़्स अपनी पत्नी के भाई के साथ लड़ता हुआ दिखाई दे रहा है. हालांकि वीडियो से लड़ने की वजहों का अब तक पता नहीं चल पाया है. इसके बाद महिला ने अपने पति के खिलाफ़ केस दर्ज़ करवा दिया.
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दूसरा किस्सा है महाराष्ट्र के भिवंडी शहर का. आज तक न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, महिला के पति ने पांच महीने पहले तीन बार तलाक़ बोलकर तलाक दे दिया था. इसकी वजह यह थी कि महिला दहेज नहीं दे रही थी. बस इसी वजह से उसके पति ने तीन बार तलाक़ बोल कर तलाक़ दे दिया. महिला ने पति के साथ परिवार के अन्य तीन सदस्यों के मामला पुलिस में दर्ज़ करवाया.
तीसरा किस्सा है उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले का. अमर उजाला न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, एक सक्षमी महिला को उसका पति केवल घर हड़पने के लिए डाक के माध्यम से तीन बार तलाक़ लिख कर तलाक़ दे देता है. हालांकि महिला का कहना है कि वो अपने शौहर के साथ ही रहेगी. लेकिन तलाक़ लिखने पर क्वार्सी पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज़ करवा दी. अभी महिला अपने तीन बच्चों के साथ अपने मायके में रह रही है.
ये थे तीन किस्से जिसमें तलाक़ केवल छोटी-छोटी बात पर दिए गए. बहस कर रही है तो तलाक़, दहेज़ नहीं दे रही तो तलाक़ और घर अपने नाम नहीं कर रही है तो तलाक़. तीन तलाक़ के रोकथाम वाले कानून में आरोपी को तीन साल की सजा काटने का प्रावधान है. इन तीनों केस में ये कानून ही लागू होगा.

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