तारीख थी 17 सितंबर और साल था 1950 वडनगर, गुजरात में दामोदर दास मोदी और हीराबेन के घर नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने जन्म लिया. आज वो अपना 69वां जन्मदिन मना रहे है. नरेंद्र दामोदर दास मोदी जिन्हे देश का हर एक नागरिक जानता है. क्योंकि नरेंद्र मोदी भारत देश के प्रधानमंत्री है. भारतीय जनता पार्टी से देश के दो बार प्रधानमंत्री पद संभाल रहे है. नरेंद्र मोदी ने अपनी सबसे बड़ी विरोधी पार्टी यानी कांग्रेस पार्टी का वजूद ही मिटा दिया है या यूं कह ले कि कांग्रेस पार्टी के सितारे गर्दिश में आ गए है. कभी कांग्रेस पार्टी का वर्चस्व हुया करता था और आज की स्थिति ऐसी है कि प्रतिपक्ष नेता बनने में भी दूसरे पार्टियों का साथ चाहिए. लेकिन क्या आपको पता है नरेंद्र मोदी ने अपने बचपन में कांग्रेस पार्टी के चुनाव अभियान में भी काम किया था? चलिये आज उनके जन्मदिन पर जानते है बचपन में कांग्रेस पार्टी के चुनाव अभियान में काम करने की वजह को.

एमवी कामत और कालिंदी रंदेरी ने एक किताब ‘The man of the moment: narendra modi’ लिखी है. ये किताब नरेंद्र मोदी के जीवन के ऊपर लिखी गयी. इसी किताब में उनके बचपन से जुड़ा किस्सा है. किताब के अनुसार, साल 1956 में कांग्रेस पार्टी के नेता रसिकभाई दवे वडनगर में एक इवेंट आयोजित करवा रहे थे. तब उनकी मदद करने 6 साल के नरेंद्र मोदी आगे आए. उस समय नरेंद्र मोदी RSS में बाल स्वयंसेवक थे. रसिकभाई नरेंद्र मोदी से जानना चाहते थे कि वो उनकी राजनीति वाले इवेंट में कैसे मदद करेंगे. तब नरेंद्र मोदी ने कहा कि वो कांग्रेस पार्टी के बेज़ बेचेंगे या बांटेंगे. नरेंद्र मोदी ने इवेंट में आने वाले सभी लोगों को कांग्रेस पार्टी के बेज़ बांटे और इवेंट के लिए धन भी जुटाया. मोदी कुछ समय तक वडनगर में कांग्रेस के इवेंट में ये काम करते रहे.

इस बात को अन्य कांग्रेसी नेता द्वारकादास जोशी ने भी स्वीकारी थी. द्वारकादास जोशी विनोभा भावे और महात्मा गांधी के अनुयायी थे, मतलब कि उनके द्वारा दिये गए वचनों पर चलते थे. जोशी ने कहा कि मोदी कांग्रेस के बेज़ को बेचा भी करते थे जिससे वडनगर में उनकी पार्टी को कुछ फंडिंग भी मिल जाती थी.

इसके साथ इस किताब में रसिकभाई दवे की पत्नी सरलाबेन ने भी एक किस्सा साझा किया है. सरलाबेन कहती है कि साल 1999 में नरेंद्र मोदी भाजपा के जनरल सेक्रेटरी थे. उस समय वडनगर विद्यालय की स्वर्ण जयंती यानी गोल्डन जुबली थी. तब उस इवेंट में मोदी भी आमंत्रित थे. जब मोदी फंक्शन में आए तो उन्होने सबसे पहले रसिकभाई दवे और सरलाबेन के पैर छुए. ये जानते हुये कि वो दोनों उनके प्रतिद्वंदी पार्टी से संबंध रखते है. ये थे मोदी के संस्कार. पार्टी अपनी जगह है और संस्कार अपनी जगह. इसी तर्ज़ पर मोदी ने अपने से बड़ो के पैर छू कर आशीर्वाद लिया था.

मोदी के संस्कार से एक बात और याद आती है. जब कांग्रेसी नेता द्वारकादास जोशी ने सर्वोदय नियम अपनाकर भोजन को त्याग दिया था तब साल 2009 में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी उनके हाल चाल पूछने जोशी के घर गए थे. विनोभा भावे के पीछे चलते हुये ही जोशी ने 21 दिन का उपवास रखा था जिसके कारण उनकी मृत्यु हुई थी. वो 21 दिन 15 अगस्त से 4 सितंबर के दिन थे. मतलब कि द्वारकादास जोशी ने खुद ने ही अपनी मौत को बुलाया था.
द पंचायत की टीम भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की ढ़ेर सारी शुभकमनाएं देने के साथ भारत देश को विकसित करने में और अच्छे कदम उठाए उसी की आशा करते है.
