अपने आस-पास ऐसे बहुत से लोग रहते है जो केवल जंक फूड ही खाते है. घर में बने खाने से दूर भागते है. हर दिन कोई न कोई बहाना बना कर खाना नहीं खाते है. लेकिन इस बात से अंजान रहते है कि वे जो जंक फूड खा रहे है वो एक दिन कोई बड़ी बीमारी का रूप लेकर सामने आ सकती है. कुछ ऐसी ही एक घटना सामने आई है. चलिये जानते है उस घटना को.

ब्रिटेन में एक 17 साल के बच्चे की आंखो की रोशनी चली गई. किस वजह से गई उसके आंखो की रोशनी. वजह केवल इतनी सी थी कि बच्चा केवल चिप्स ही खाता था. दरअसल हुया यूं कि प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद से ही ये बच्चा केवल फास्ट फूड पर ही निर्भर हो गया. इसके अलावा कभी-कभी वो सॉसेज या सूअर का मांस खाता था. तीन साल पहले यानि जब बच्चा 14 साल का था तब वह डॉक्टरों के पास दिखाने के लिए गया था. क्योंकि वो अच्छा महसूस नहीं कर रहा था और उसे थकान महसूस होती थी. तब डॉक्टरों ने उसमें विटामिन बी 12 की कमी पाई. इसके लिए डॉक्टरों ने उसे दवाईयां दी लेकिन ना तो वह इस इलाज को जारी रख पाया और ना ही उसने अपने खान पान में सुधार किया.

इंटरनेशनल मेडिसीन जर्नल के मुताबिक फिर बच्चे को तीन साल बाद आंखो में कुछ समस्या होने पर उसे ब्रिस्टल आई हॉस्पिटल में दिखाया गया. अस्पताल में युवक का इलाज करने वाली डॉक्टर डेनिजे एटन बताती है कि उसके दिन प्रतिदिन की डाइट में मछली से बनी चिप्स शामिल थी. कभी-कभी व्हाइट ब्रेड का स्लाइस ले लिया तो कभी सूअर का मांस का एक टुकड़ा ले लिया. फल और सब्जी उसकी डाइट में ही शामिल नहीं थे. जिसकी वजह से विटामिन बी 12 के अलावा कई दूसरे विटामिन और खनिज- कॉपर, सेलेनियम और विटामिन डी भी उसमें बेहद कम पाए गए.
एटन के मुताबिक इस बच्चे का वजन ठीक ठाक था, ना तो वह अंडरवेट था और ना ही ओवर वेट. लेकिन वह कुपोषित था. एटन आगे कहती है कि उसकी हड्डियों में से खनिज कम हो गया था. इस उम्र के युवा के लिए यह बेहद निराश करने वाला था. उसकी आंखों की ठीक बीच में ब्लांइड स्पॉट्स थे. इसका मतलब यह है कि वह ना तो गाड़ी चला सकता है, ना ही पढ़ सकता है, ना ही टीवी देख सकता है और ना ही चेहरों को पहचान सकता है. हालांकि वह खुद से चल सकता है क्योंकि उसका पेरिफेरियल विजन ठीक है, यानि आंखों के साइड से वह देखने में सक्षम है. लेकिन वो दृष्टिहीन की श्रेणी में आ गया है.

एटन ऐसे पैरेंट्स को सलाह देते हुए कहती है कि आपको हड़बड़ाने की जरूरत नहीं है, हर भोजन में बच्चों को एकाध नई चीज खाने को दें, उसके स्वाद से अवगत कराएं. मल्टी विटामिन टेबलेट एक सप्लीमेंट तो हो सकते हैं लेकिन वे स्वास्थ्यवर्धक भोजन की जगह नहीं ले सकते. विविध और संतुलित आहार के साथ ही विटामिन की गोलियां लेना ज्यादा फायदेमंद होता है. यहां ये भी ध्यान रखने की जरूरत है कि विटामिन ए सहित कुछ विटामिन नुकसानदायक हो सकते हैं, इसलिए इसके ओवरडोज से बचना चाहिए.
ब्रिटिश डाइटिक एसोसिएशन की प्रवक्ता और कंसल्टेंट डाइटिशियन रेबेका मैकमैनामोन बताती हैं कि कई लोग कई वजहों से डाइट पर नियंत्रण रखते हैं. ऐसे लोगों में कोई बीमारी हो सकती है, एलर्जी हो सकती है, ऑटिज्म हो सकता है, लेकिन इन सबको विशेषज्ञों से इलाज करना चाहिए. रेबेका बताती है कि ब्रिटिश सरकार ने 2016 से अक्टूबर से लेकर मार्च के महीने में हर शख्स के लिए विटामिन डी की गोली (10 माइक्रोग्राम्स) लेने का निर्देश जारी किया हुआ है क्योंकि यह विटामिन हमें भोजन से नहीं मिलता है. पांच साल तक के हर बच्चे को मल्टी विटामिन की गोलियां लेने का निर्देश भी है.
द पंचायत का मानना है कि बच्चे केवल चिप्स ही ना खाये इसका ख़्याल उनके माँ-बाप को रखना होगा. कुछ ना कुछ प्रयोग करके बच्चो को हेल्दी खाना खिलाने की कोशिश करें.
