मोदी सरकार जहां इकॉनमी में सब बेहतर बताने में जुटी हुई है, मंत्री महोदय फ़िल्म की कमाई से ही इकॉनमी को नापने में लगे हुए हैं,मोदी साहब अमेरिका जाकर सब चंगा सी का नारा बुलंद करने में जुटे हुए हैं लेकिन अब इसकी पोल खोली है,भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने, रघुराम राजन जब तक गर्वनर रहे तब तक बढ़िया तरीके से इकनॉमी की बेहतरी के लिए प्रयास करते रहे.
फिलहाल चल रहे इकॉनमी क्राइरिस के बारे में भी इन्होंने सरकार को काफी पहले ही बता दिया था.
गर्वनर पद छोड़ने के बाद पहली बार वो खुलकर बोले और उन्होने बेहद कठोर शब्दों में मोदी सरकार की पोल पट्टी खोलकर रख दी है.

नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा है कि बहुसंख्यकवाद और तानाशाही देश को अंधेरे और अनिश्चितता के रास्ते पर ले जाएगी। पूर्व गवर्नर ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर संस्थानों को कमजोर करने का भी गम्भीर आरोप लगाया। रघुराम राजन ने कहा कि सरकार इकॉनमी को लंबी समस्या की ओर धकेल रही है। हाल ही में उनका एक लेक्चर हुआ था जहां उन्होंने सरकार की बखिया उधेड़ते हुए कहा कि सरकार की आर्थिक व्यवस्था स्थायी नहीं है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार पॉपुलिस्ट पॉलिसी अपनाते हुए लैटिन अमेरिकी देशों की राह पर भारत को आगे बढ़ा रही है। भारतीय इकॉनमी में मौजूदा स्लोडाउन के लिए भी उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। रघुराम राजन ने कहा कि गलत ढंग से की गई नोटबंदी और जीएसटी के चलते ये स्थिति पैदा हुई है।

असल में अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी में 9 अक्टूबर को उनका लेक्चर था,इस दौरान उन्होंने कहा, ‘ग्रोथ कम हो रही है और उसके बाद भी सरकार वेलफेयर स्कीमों को आगे बढ़ा रही है। सरकार पर वेलफेयर प्रोग्राम्स को आगे बढ़ाने का काफी दबाव है। लेकिन, आप इस तरह से लगातार खर्च नहीं करते रह सकते।’
2005 में ही सब-प्राइम क्राइसिस की भविष्यवाणी करने वाले रघुराम राजन ने कहा कि फाइनैंस और रियल एस्टेट सेक्टर में कमजोरी स्लोडाउन का संकेत है।उन्होंने कहा कि इस मंदी का मुख्य कारण यह है कि हमने अपनी ग्रोथ को बढ़ाने में सफलता नहीं पाई है।
इकॉनमी में स्लोडाउन के लिए रघुराम राजन ने सरकार में नेतृत्व के केंद्रीकरण को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, ‘पहले टर्म में नरेंद्र मोदी ने इकॉनमी के मोर्चे पर अच्छा परफॉर्मेंस नहीं किया। इसकी वजह यह थी कि किसी भी फैसले के लिए नेतृत्व पर बहुत ज्यादा निर्भरता थी। जिसके पास निरंतर, तार्किक विजन नहीं था कि कैसे ग्रोथ को हासिल किया जाए।’
लोगों की नौकरी जाने,फैक्टरी कंपनियों के लगातार बन्द होने का सिलसिला तेज होने के बाद भी जहां देश में सब चंगा सी बताने का प्रयास हो रहा है वहीं दुनिया के प्रसिद्ध इकनॉमिस्ट में शुमार रघुराम राजन के खुलासे के बाद इतना तो साफ है कि भारत में सब कुछ चंगा सी तो बिल्कुल नही है.